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ए मेरे वतन के लोगों

शत शत नमन

कड़वा है मगर सत्य है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कड़वा है मगर सत्य है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

अपने ही घर बेटियां हो जाती हैं मेहमान(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

थाली तो हम बेटा होने पर बड़ी जोर जोर से बजाते हैं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

चलो मन

चलो मन  चलें अयोध्या वहां मिलेंगे हमें श्री राम मन अयोध्या होगा तो कहीं भी मिल जायेगें राम चलो मन राम शरण में वहां मिलेंगे तुम्हें हनुमान जहां राम हैं वहां हनुमान हैं राम आराध्य भगत हनुमान