Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2020

धुंध कुहासे thought by Sneh premchand

समय के जीने से ( Thought by Sneh premchand)

समय के जीने से उतर रहा है 2020, हौले हौले चढ़ रहा है 2021, कोई नई बात नहीं,जाने कब से होता आया है।।  गुजरता है साल पिछला,  लहराता नए साल का साया है।। बस इस साल जैसा फिर कोई साल ना हो, खोया अधिक है और कम ही पाया है।।  जाने कितने ही बने ग्रास काल के असमय ही, वैश्विक महामारी से पूरा ही जग  लड़खड़ाया है।। हे ईश्वर! यही दुआ है तुझसे,  सब निर्भय हों, सब स्वस्थ हों,  तूं ही तो सच्चा सर माया है।।  सब की मंगल कामना का तराना ही आज दिल ने मन से गुनगुनाया है।। कोई तुझ सा पुरसां ए हाल है ही नहीं,  बड़ा शीतल तेरी शरण का साया है।।         स्नेह प्रेमचंद

नहीं जिन्हें कदर

रोटी कपड़ा और मकान

उपलब्धि

किस्सा युगों पुराना

no tear

माना बोली मधुर नहीं पर दिल मीठा है

हे वसुधा

कह दिया

कभी कभी

एक ही नाम

कभी कभी नहीं अक्सर Thought by Sneh premchand

समय की गोद से Thought by Sneh premchand

समय की गोद से निकल कर  2020 देखो बनने चला है इतिहास, यूँ ही बीतते रहते हैं साल ज़िन्दगी के, करते चलो तुम हास परिहास।। लो दर्द उधारे किसी के, आये तुम्हारे कारण किसी के लबों पर मुस्कान। मलाल नही रहेंगे फिर जीवन में, जीवन हो जायेगा वरदान।। कुछ बहुत ही अपने जुदा हुए इस बरस, कुछ अपने जुड़ भी जाते हैं। आवागमन का है ये चक्र ही ऐसा, हम खुद को बस एक मोहरा पाते हैं।। कौन जानता था इस बरस, आएगी ऐसी वैश्विक महामारी। जाने कितनी ही ज़िंदगियां, सम्मुख korona के हारी।। बहुत कुछ ले गया, बहुत कुछ सिखा गया ये साल। कुछ खोया,कुछ पाया, मन में भी दे गया मलाल।।

कितना अच्छा होता ,Thought by Sneh premchand

कुछ खुशियां कुछ मलाल (thought by Sneh premchand)

कुछ खुशियाँ भी आई,कुछ मलाल भी रहे,जाने लगा देखो ये साल। नववर्ष का आओ करें स्वागत,कुछ करें ऐसा जो बने मिसाल।। समय का पहिया चलता रहता अपनी ही गति से,हम कठपुतली बन कर रह जाते हैं। कभी यहाँ, कभी वहाँ, जीवन की लीला चलाते हैं। हो स्थान परिवर्तन बेशक,पर हृदय परिवर्तन की न चले बयार। चार दिनों की इस ज़िंदगानी में हो इंसा को हर प्राणी से प्यार।। बीते बरस चार,हुआ हमारा राजस्थान से हरियाणा को आना। जैसे कोई भूला हुआ लौटा हो अपने घोंसले में,लगा बनाने नया ठिकाना जगह की दूरी कोई खास बात नही,खास बात है जब मनो में दूरी आ जाती है। जलती हुई शमा को आकर जैसे कोई सुनामी बुझाती है। सब रहें प्रेम से,हों सुख दुख सांझे,कटाक्षों की कोई जगह कहीं भी बचे न बाकी। सब खुश रहें,और रहें सलामत,और अधिक की तो चाह भी नही है साकी।। नववर्ष में आओ लें एक संकल्प,कभी किसी का हिया न दुखाएँ। बेशक खुशी न दें पाएं किसी को,पर गम का आगाज़ तो न लाएं।।

जब हुई मुलाकात

कुछ उदित हुए

जब भी

best teacher (thought by Sneh premchand)

ऊंची उड़ान

ज़रूरी है

जब किया होगा बिटिया का निर्माण

सकारात्मक आलोचना

हे ईश्वर

पिटारा यादों का Thought by Sneh premchand

दी दस्तक फिर भानू ने

नहीं मिलती बाजारों में( thought by Sneh premchand)

खरामा खरामा

पलकों

बड़े प्रेम से

ओ लेखनी

कोख में

लो फिर आया

बसंत

एकत्व

स्नेह सुधा

बहुत कुछ ले गया ये साल

वाणी में मिठास ज़रूरी है

यादें

ऐसी होती है बहन

थकान

ज़रूरी

वो कैसे सब कर लेती थी (Thought by स्नेह प्रेम चंद)

वो कैसे सब कुछ कर लेती थी?? थोड़े से उपलब्ध संसाधनो में हमे सब कुछ दे देती थी!!! पर्व,उत्सव,या फिर कोई भी उल्लास' बना देती थी वो कितना खास!!! ज़िन्दगी के भाल पर जिजीविषा का कैसे तिलक लगा देती थी???? कभी नहीं रुकती थी,कभी नहीं थकती थी,कभी कोई विराम नहीं लेती थी।।। वो कैसे सब कुछ कर लेती थी।।। कर्मठता का पर्याय थी,जीवन मे सबसे सच्ची राय थी।। कितने पापड़ बेल कर भी सहजता से मुस्काती थी।। वो कैसे सब कुछ कर जाती थी !!! वक्त में से अपने लिए तूं कभी वक्त निकाल नहीं पाती थी। ये तूं नहीं,तेरे हाथ पर लिपटे सूखे आटे की उतरन बताती थी।। वो कैसे सब कुछ कर जाती थी।।। वो सिर पर मण बोझ लादना, वो गेहूं की अनेकों बाल्टी तोलना, वो कितनी ही भैंसों को करना काम वो भंड्रोल मांजनी,वो कपड़े धोना, वो इंटों के फर्श को लाल लाल चमकाना। वो दीवाली पर भेंसों के गले की पट्टियां बनाना।। वो हम संग कितने ही मेहमानों का भोजन पकाना।। वो कैसे सब कर लेती थी।। गर पी एच डी करनी पड़े उसके बारे में, हर कोई चक्कर मे पड़ जायेगा। डाटा कुछ औऱ कहेगा,परिणाम कुछ और ही आएगा।!! समझ से परे है,मरुधर में हरियाली थी&quo

ऐसी होती हैं बेटियां

जब तुम नजर नहीं आए

कह देना

सात समंदर कर दूं स्याही