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सृष्टि का भाग दोनो आधा आधा(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*न कम न ज्यादा सृष्टि का भाग दोनो आधा आधा* *शिव शक्ति*  दोनो पूरक एक दूजे के, सदा साथ निभाने का अमिट इरादा विवाह परंपरा की,  दोनो से ही हुई शुरुआत मर्यादा,स्नेह,सम्मान,समर्पण, विश्वाश  इस नाते की अनुपम सौगात दोनो पूर्ण एक दूजे से, भावनाओं को ना पहुंचे कभी आघात एक दूजे के संग चलें सदा, हों कैसे भी  चाहे हालात सुख दुख दोनो के सांझे सांझे बस हों चित न दोनो के विषाक्त तन का नहीं हो मिलन रूह का, आए समझ एक दूजे के जज़्बात लब बेशक कुछ भी ना बोलें बिन कहे ही आए समझ हर बात आए समझ नयनों की भाषा साथ है ये अब दिन रात हर रंग पड जाता है फीका  रंगरेज प्रीतम  का लागे रंगीला साथ यूं हीं तो नहीं देता बाबुल कालजे को कौर का प्रीतम को हाथ