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जहां प्रेम है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

जहाँ प्रेम है,वहीं करुणा है। जहाँ प्रेम है,वहीं ममता है। जहाँ प्रेम है,वहीं संतोष है। जहाँ प्रेम है,वहीं सहजता है। जहाँ प्रेम है,वहीं शांति है। जहाँ प्रेम है,वहीं भाईचारा है। जहां प्रेम है, वहीं ऊर्जा और उल्लास है जहां प्रेम है,वहीं जिजीविषा है। जहां प्रेम है,वहीं धीरज है। एक प्रेम के कितने अच्छे अच्छे पड़ोसी हैं।