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मां हम जुगनू तूं दिनकर है

माँ हम जुगुनू तू दिनकर है, माँ हम तारे तू इंदु है, माँ हम प्यासे तो तू जल है, माँ हम जिज्ञासा तो तू हल है, मां हम समस्या तू समाधान है, मां तू कुदरत का वरदान है, माँ हम धरा तू आसमान है, माँ हम दिल तो तू धडकन है, माँ हम सुर तो तू सरगम है, माँ हम बून्द तो सागर है, माँ हम नीर तू गागर है, माँ हम पंख तू परवाज़ है, माँ तू पर्व,उत्सव,रीति,रिवाज़ है, माँ तू ही शिक्षा,तू संस्कार है, माँ तुझ से होता परिष्कार है, माँ हम शब्द तू भाव है, माँ तू मांझी और हम नाव है, माँ हम अक्षर तू पूरी किताब है, माँ से बढ़ कर न कोई हिसाब है, माँ तू ही तीर्थ है तू ही धाम है, तेरे प्रेम का अद्भुत विज्ञान है, माँ हम दीपक और तू ज्योति है, माँ तू सीप के मुख का मोती है, माँ हम शिष्य तू गुरु हमारा, माँ  तेरा प्यार है सबसे न्यारा, माँ हम तख्ती तो तू लेखनी है, माँ हम स्वार्थी तू निस्वार्थ है, माँ तू जीवन का आधार है, माँ तू निश्छल सा प्यार है, माँ तू मन्ज़िल हम पथिक अज्ञानी, माँ तेरी महिमा सबने जानी, माँ तू ही गीता तू ही कुरान है, माँ तू ही तीर्थ तू ही धाम है, माँ हम नयन तो दृष्टि हो तुम, माँ हम प्रकृति तो हरियाली हो तुम, माँ दही

Poem on Mother's day मां हम जुगनू तूं दिनकर है(( विचार स्नेह प्रेमचंद))

मां कैसे करूं तुझे परिभाषित 11 स्वर और 33 व्यंजन भी कम हैं  हम जुगुनू तू आफताब है मां हम हर्फ तूं किताब है मां सौ बात की एक बात है, जीवन का सबसे सरल हिसाब है मां मां जीवन की सबसे मधुर है लोरी मां रिश्तों की मजबूत सी डोरी  हम तारे तूं चांद है मां हम वर्णमाला तूं संवाद है मां हर संबोधन और उदबोधन मां अति मधुर होता है तेरा पहर में से देना हो जो नाम तेरा कहूंगी इतना तूं मधुर सवेरा हर धूप छांव में संग खड़ी हो जीवन में जैसी भी घड़ी हम बहके कदम मां मजबूत छड़ी माँ हम प्यासे तो तू जल है, माँ हम जिज्ञासा तो तू हल है, मां हम समस्या तू समाधान है, मां ही श्रद्धा मां ही विगान है मां तू कुदरत का वरदान है, माँ हम धरा तू आसमान है, माँ हम दिल तो तू धडकन है, माँ हम सुर तो तू सरगम है, माँ हम बून्द तूं सागर है, माँ हम नीर तू गागर है, माँ हम पंख तू परवाज़ है, माँ तू पर्व,उत्सव,रीति,रिवाज़ है, मां हम पतंग तो डोर है तूं मावास के बाद की भोर है तूं माँ तू ही शिक्षा,तू संस्कार है, माँ तुझ से होता परिष्कार है, माँ हम शब्द तू भाव है, माँ तू मांझी और हम नाव है, माँ हम अक्षर तू पूरी किताब है, माँ से बढ़ कर न