करबद्ध हम कर रहे परमपिता से यह अरदास मिले शांति दिव्य दिवंगत आत्मा को, है प्रार्थना ही हमारा प्रयास अभाव का प्रभाव बताता है कोई जीवन में कितना होता है खास चित में करुणा,प्रेम,अपनत्व की बहती रही त्रिवेणी आजीवन, कर्म करना सदा आया तुझे रास कभी नहीं कोसा परिवेश,परिस्थिति को कर्मों से भाग्य को बदल जीवन में लाई उजास भगति धारा बही सदा चित में तेरे निर्मल चित जैसा खुला अनंत आकाश धरा सा धीरज उड़ान गगन सी दया का चित में रहा सदा वास शून्य से शिखर तक के सफर में,किए मां जाई तूने विशेष प्रयास उत्तम नहीं अति उत्तम निभाया हर किरदार तूने हुआ सतत अभिवर्ध न नहीं हुआ ह्रास कभी नहीं रुकी कभी नहीं थकी सतत करती रही तूं सदा विकास कब है बदल जाता है था में हो ही नहीं पाता विश्वाश जिंदगी भले ही लंबी ना रही तेरी जितनी भी थी,थी बड़ी खास क्रम में सबसे छोटी पर कर्मों में बड़ी सबसे अलग हो रहा तेरे आभामंडल का दिव्य प्रकाश आवागमन तो यूं हीं लगा रहता है जीवन में पर दिल में बहुत ही कम करते हैं वास इस फेरहिस्त में नाम तेरा आता है बहुत ही ऊपर नहीं शब्द जो बता पाऊं तुम कितनी थी खास ओ डिप्लोमेट तुम तो सच में ही र...