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करबद्ध हम कर रहे

करबद्ध हम कर रहे परमपिता से यह अरदास मिले शांति दिव्य दिवंगत आत्मा को, है प्रार्थना ही हमारा प्रयास अभाव का प्रभाव बताता है कोई जीवन में कितना होता है खास चित में करुणा,प्रेम,अपनत्व की बहती रही त्रिवेणी आजीवन, कर्म करना सदा आया तुझे रास कभी नहीं कोसा परिवेश,परिस्थिति को कर्मों से भाग्य को बदल जीवन में लाई उजास भगति धारा बही सदा चित में तेरे निर्मल चित जैसा खुला अनंत आकाश धरा सा धीरज उड़ान गगन सी दया का चित में रहा सदा वास शून्य से शिखर तक के सफर में,किए मां जाई तूने विशेष प्रयास उत्तम नहीं अति उत्तम निभाया हर किरदार तूने हुआ सतत अभिवर्ध न नहीं हुआ ह्रास कभी नहीं रुकी कभी नहीं थकी सतत करती रही तूं सदा विकास कब है बदल जाता है था में हो ही नहीं पाता विश्वाश जिंदगी भले ही लंबी ना रही तेरी जितनी भी थी,थी बड़ी खास क्रम में सबसे छोटी पर कर्मों में बड़ी सबसे अलग हो रहा तेरे आभामंडल का दिव्य प्रकाश आवागमन तो यूं हीं लगा रहता है जीवन में पर दिल में बहुत ही कम करते हैं वास इस फेरहिस्त में नाम तेरा आता है बहुत ही ऊपर नहीं शब्द जो बता पाऊं तुम कितनी थी खास ओ डिप्लोमेट तुम तो सच में ही र...

करबद्ध हम कर रहे(( श्रद्धांजलि स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

करबद्ध हम कर रहे परमपिता से यह अरदास मिले शांति मां की  दिवंगत आत्मा को है प्रार्थना ही हमारा प्रयास कब है बदल जाता है था में हो ही नहीं पाता विश्वाश कल तक जो थे संग हमारे आज नहीं वे हमारे पास माटी मिल गई माटी में सबके जीवन में गिनती के श्वास लम्हा लम्हा बीत गए बरस 9 सच में मां थी अति अति खास उच्चारण नहीं आचरण में यकीन था मां का, मां पहुपन में जैसे सुवास कर्म की कावड़ में सदा जल भरा मां ने  अपनी सोच का, मां सच में जीवन का सबसे सुखद आभास मां से अच्छा कोई मित्र,सलाहकार हो नहीं सकता हमारे पास मां का पूरा जीवन चरित्र एक सबसे बड़ी प्रेरणा है जो मां को बना गई अति खास उपलब्ध सीमित संसाधनों में भी कोई इतना बेहतर कैसे कर सकता है धरा सा धीरज,सपनों का आकाश युग आयेंगे युग जायेंगे पर मां तुझे भुला ना पाएंगे आने वाली पीढ़ियों को यकीन दिलाने के लिए हम तेरा जीवन चरित्र सुनाएंगे

कर जोड़ हम कर रहे

कर जोड़ हम कर रहे, परमपिता से यह अरदास, मिले शांति पा की दिवंगत आत्मा को, है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।। शत शत नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि पा को, वो नही हैं, हो ही नही पाता अहसास, एक ही नाम था,एक ही काम था, कितना सुखद था उनके होने का आभास।। 13 बरस बीत गए,उनको हमसे बिछड़े हुए, कल की ही तो बात लगती है,आते है याद कभी हँसते हुए,कभी बिगड़े हुए।। जो बीत गया है वो दौर न आएगा, इस दिल के माँ बाप के स्थान पर कोई और न आएगा।। समय पंख लग कर उड़ गया, हम लगाते ही रह गए कयास, झटका सा लगता है सोच कर पापा  नही हैं हमारे पास।। कोई जगह नहीं ले सकता पापा की हो चाहे वो कितना ही खास हर बेटी हर पिता की राजकुमारी होती है दूर रहे चाहे रहे वो पास पा की दिवंगत आत्मा को मिले शांति, आज उनके जन्मदिन का है यही उपहार, कितने अच्छे थे वो दिल के, बेशक थोड़ा कम करते थे इज़हार।। भाई अगर करता था तंग तो पड़ी को शिकायत लगाने का था अधिकार पापा के साथ अधिकार भी चले जाते हैं करना पड़ता है स्वीकार जिद्द करने वाली,भाई से लड़ने वाली, छीन झपट कर खाने वाली बेटी मात पिता के बाद अपने ही घर में हो जाती ह...