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दस्तूर

अंदाज़ ए गुफ्तगू तल्ख है आपका, थोड़ा लहजे में,थोड़ा अल्फाजों के चयन में है कसूर। आप अकेले ही नहीं हैं ऐसे, ये तो बनता जा रहा है दस्तूर।।