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कुछ कर दरगुज़र

दो सपनों ने किया श्रृंगार

प्रेम भरा हो तेरा संसार(( दुआ बुआ स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

अ __नन्त गगन से हों ऊंचे सपने, धरा सी शीतलता रखना बरकरार ना__ राज नहीं हैरान हैं हम, किस्मत बना देती है जोड़ी सात  समंदर पार य__ह पल है जश्न के आगाज का, बना दो इस लम्हे को यादगार एक दुआ है हम सब की ओर से, हो प्रेम भरा दोनों का सुंदर संसार स___लामत रहो,खुश रहो, विविध हैं हम विभिन्न नहीं, प्रेम ही जीवन का आधार

कुछ कर दरगुजर,कुछ कर दरकिनार

कुछ कर दरगुजर

कुछ कर दरगुज़र