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सबकी सुनती हो मां(( अराधना स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

सबकी सुनती हो मां मेरी भी सुन लेना शक्ति देना मैया, तूं भगति देना सबकी सुनती....... जब राह नजर आए ना तूं आती है नजर मैं मूढ़, अधम,अज्ञानी करी ना तेरी कदर अपने चरणों में मैया तूं जगह देना मैं आया शरण हूं तेरी शरण में ले लेना सबकी सुनती हो मां मेरी भी सुन लेना शक्ति देना मैया तूं भगति देना  मुक्ति लख चौरासी से तूं दे देना सबकी सुनती हो मां मेरी भी सुन लेना जब सब पीछे हट जाते मां आती आगे नाम तेरा लेने से हर दुख मां भागे चित चिंता मैया तूं मेरी हर लेना घने अंधेरे है मां ज्योति दे देना सबकी सुनती हो मां मेरी सुन लेना भले बुरे का मैया मुझ को ज्ञान नहीं समझ ना पाऊं ऐसा तो नादान नहीं मेरी हर नादानी मैया भुला देना चित के सारे विकारों को मां हर लेना सबकी सुनती हो मां मेरी सुन लेना शक्ति देना मैया तूं भगति देना रोता बालक सदा ही मां मां कहता है मां के आंचल में वो प्रेम से रहता है मुझे भी अपने आंचल में मां ले लेना अवगुण चित ना धरना कृपा कर देना सबकी सुनती हो मां मेरी भी सुन लेना