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वैचारिक क्रांति

ज़रूरी तो नहीं

ज़रूरी तो नहीं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

हर क्रिया की प्रतिक्रिया हो          ज़रूरी तो नहीं। हर अहसास को अभिव्यक्ति मिले          ज़रूरी तो नहीं। हर सवाल का सही जवाब मिले          ज़रूरी तो नहीं। हर मोड़ पर कोई अपना खास हो          ज़रूरी तो नहीं। हर लम्हा खूबसूरत ही हो,यादगार ही हो         ज़रूरी तो नहीं। हर पसन्दीदा चीज़ हमे हासिल हो ही जाए         ज़रूरी तो नहीं। हर दिल प्रेम की बांसुरी बजाए,सुने और सुनाए         बहुत ज़रूरी है।। और प्रेम सुता!तेरा दिल सदा प्रेम से लबरेज रहा।उच्चारण से नहीं आचरण से तूं प्रेम करना सिखा गई।।

ज़रूरी नहीं

ज़रूरी तो नहीं

भूल सुधारना

माना जीवन

हरियाली

ज़रूरी तो नहीं ((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

हर हसरत पूरी हो,ज़रूरी तो नही हर समय मुस्कुराते ही रहें,ज़रूरी तो नही हर ख्वाब हकीकत में बदले,ज़रूरी तो नही हर क्रिया की प्रतिक्रिया हो,ज़रूरी तो नही हर मनचाही चीज़ हमे मिले,ज़रूरी तो नही हर कोशिश अंजाम तक पहुंचे,ज़रूरी तो नही हर कर्म सही फल दे,ज़रूरी तो नही हर सद्गुण हम में हो,ज़रूरी तो नही ज़रूरी है,कर्म करना,कोशिश करनी।। ज़रूरी है हिया में प्रेमधारा होना।। ज़रूरी है करुणा होना।। ज़रूरी है दर्द उधारे लेना।। ज़रूरी है बिन कहे एक दूजे की ज़रूरत समझ लेना।। ज़रूरी है सबल का। निर्बल का हाथ थाम लेना।। ज़रूरी है सकारात्मक सोच रखना आप को क्या ज़रूरी लगता है!!

ज़रूरी तो नहीं

वेद नहीं वेदना

सबको सब कुछ मिले((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

ज़रूरी तो नहीं

ज़रूरी तो नहीं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

हर क्रिया की प्रतिक्रिया हो          ज़रूरी तो नहीं। हर अहसास को अभिव्यक्ति मिले          ज़रूरी तो नहीं। हर सवाल का सही जवाब मिले          ज़रूरी तो नहीं। हर मोड़ पर कोई अपना खास हो          ज़रूरी तो नहीं। हर लम्हा खूबसूरत ही हो,यादगार ही हो         ज़रूरी तो नहीं। हर पसन्दीदा चीज़ हमे हासिल हो ही जाए         ज़रूरी तो नहीं। हर दिल प्रेम की बांसुरी बजाए,सुने और सुनाए         बहुत ज़रूरी है।।

भूगोल नहीं मनोविज्ञान

ज़रूरी तो नहीं

शब्द संभाले बोलिए

ज़रूरी तो नहीं

सोच,कर्म, परिणाम

माना जीवन में