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प्रेम के चूल्हे पर(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

प्रेम के चूल्हे पर जब भी मैने उल्लास का साग बनाया। सौहार्द,विनम्रता,करुणा,सहजता और संयम सबने आने का रिवाज बनाया।। आज खास सा दिन है ,है जन्मदिन उनका,जीवन संग जिनके है बिताया।। बरस 56 कब बीत गए लम्हा लम्हा, समझ ही नही आया,सच में नहीं आया।।      स्नेह प्रेमचंद

चूल्हा प्रेम का

बाबा को भाया