कहा सकें हम जिनसे बात दिल की, वही मित्र है।। सराहना संग जो आलोचना भी कर सके,वही मित्र है।। किसी भी दुविधा में जो बन जाए सुविधा,वही मित्र है।। जिसके साथ हम खुल कर हंसे,खुल कर रो भी सके,वही मित्र है।। जीवन के किसी भी मोड़ पर कोई गलती करने पर कर्ण दुर्योधन सी दोस्ती निभाने की बजाय पार्थ और माधव सा नाता निभाए,सही राह दिखाए,विचलित मन को सही दिशा ज्ञान दे सके,वही मित्र है।।