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प्रेममण्डप

मात पिता तो वो प्रेम मंडप हैं जहाँ सदैव औलाद हित हेतु होता रहता है कोई न कोई अनुष्ठान । ये बात दूसरी है,सही समय पर नही समझती इस भाव को औलाद नादान ।।                         स्नेहप्रेमचंद

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