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जंग जारी है,उम्दा तैयारी है poem by sneh premchand

जंग जारी है,उम्दा तैयारी है। छोटी मोटी बात नहीं, वैश्विक महामारी है ।। समय का पहिया पलट गया है, एक अजीब सी उलझन में दुनिया सारी है।। चिंता नही चिंतन करना है, घर मे रहना ही समझदारी है। बाध्यता नही , सबकी साँझी ज़िम्मेदारी है। जंग जारी है,उम्दा तैयारी है।। ख़ौफ़ज़दा नहीं होना है, कर्महीन नही होना है। उम्मीदों के धागे में सफलता के मोती पिरोना है।। जब पत्थर भी तैर सकते हैं पानी मे, फिर काहे का रोना है???? उम्मीद पर है दुनिया कायम, उम्मीद ही सफलता के शोलों में सुखद भविष्य की चिंगारी है।। जंग जारी है,उम्दा तैयारी है।। नकारात्मकता नहीं सकारात्मकता का बजाना है हमे शंखनाद। समस्या है तो समाधान भी है, बस चित में इतना रखें याद।। सोच,कर्म,सुपरिणाम की त्रिवेणी बहा प्रतिबद्धता से, अब तो यही अहसास ए ज़िम्मेदारी है। सयंम की कावड़ में जल भर दृढ़ संकल्प का सबकी प्यास बुझाने की आ गई बारी है।। जंग जारी है उम्दा तैयारी है। छोटी मोटी बात नहीं, वैश्विक महामारी है।। सत्कर्म के बैंक में सुप्रयासों की राशि जमा करानी है। लेना है ए टी एम भरोसे का, सोच कर सोचो कैसी अदभुत कहानी है।। कहानी आगे बढ़ती रहे,इ