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अखंड सुहाग रहे सदा सबका((विचार स्नेह प्रेम चंद द्वारा))

रहे माता चौथ की कृपा सब पर, हाथों में चूड़ा और पांवों में पायल  खनकती रहे। अखंड सुहाग रहे सदा सब का, भाल पर लाल लाल बिंदिया चमकती रहे।। हो न बिछौडा कभी सजनी साजन का, जिंदगी यूं ही चलती रहे। मेंहदी सा गहराए ये रिश्ता, प्रेम की सौंधी सौंधी महक से महकता रहे।। प्रेम चमन में खिले प्रेम पुष्प और कलियां, उनकी चहक से हर आंगन, चिरैया सा चहकता रहे।। जीवन पथ अग्निपथ न होकर, सहज पथ बन सहजता के रहे।। रहे माता चौथ की कृपा सब पर, हाथों में चूड़ा,पांवों में पायल खनकती रहे।। धूप छांव,खुशी गम हैं  दोनो दो पहलू जीवन के, पर साथ साथ सब कुछ चलता रहे।। प्रेम डोर न टूटे कभी, साथ एक दूजे का न छूटे कभी, रूठना मानना यूं ही जिंदगी में चलता रहे।। प्रेम पथ पर अग्रसर रहे सदा ये रिश्ता प्रीत की महक से महकता रहे। अखंड सुहाग रहे सदा सबका, माथे पर लाल लाल बिंदिया चमकती रहे। मतभेद बेशक हो जाए, पर मनभेद न हो, प्रेम का प्याला छलकता रहे। दूरियां कभी न आए इस नाते में कभी, सेतु नजदीकियों का सदा ही बना रहे।।