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Showing posts from March, 2021

नीला आसमान

अक्सर

आसान

इतनी सी

न नदिया ने, न दिनकर ने

सच्चे प्रयास

शंखनाद

हसरत

दवानल

नहीं जानता प्रेम

कटाक्ष

समय उड़ गया

कोई भी कर्म

बड़े अजीब होते हैं

काश कोई

समझो होली आ गई

एक ऐसा रंगरेज भी हो ( thought by Sneh premchand)

तन्हा

दूर कहीं

साथ निभाना

सुकून

चलो मन

कहीं नहीं जाते

उठो पार्थ

फकीरी

जलजात

ज़रूरी

दीप

पंख को

रूठा है गर कोई

भाव या शब्द

मंजर

फिर आई

न बुलाने में कोई दम है

आभा

हर अल्फाz

प्रेम की किताब

ओ बटोही

एक छत

डंक

अधिकार और जिम्मेदारी

कुछ अधिक ही मीठे होते हैं कुछ अहसास

कुछ अधिक ही मीठे होते हैं कुछ अहसास। गुड से भी मीठे,चीनी से रसीले, हर लम्हे को बना देते हैं खास।। जेहन की चौखट पर दस्तक देते हैं पल, आज पल भर में ही हो जाता है कल।। हो ही नहीं पाता आभास।।        स्नेह प्रेमचंद

prv

है पर्व ये उल्लास का,मन प्रेम से रंगने का  मौसम आया है। मिले हैं अपनों से अपने,बसंत हर दिल को भाया है।। जाने कितने ही संदेशों को अपने उर में समेटे जन जन को भाया है।। है पर्व ये उल्लास का,मन प्रेम से रंगने का मौसम आया है।।

मलिन मनों से

होलिका दहन