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love and hatred|. प्रेम और नफरत poem by sneh premchand

प्रेम ने एक दिन कहा नफरत से,*युगों युगों से, युगों युगों तक,तुम्हे कुछ नही मेरी बहना नही मिला, तुम्हारे चमन में एक पुष्प भी कभी खुशी का नही खिला,।। कैसे जी पाती हो,जब तुम्हे मिलता है इतना दुत्कार, आ जाओ गर मेरी कुटिया में,जगा दूंगा हर दिल मे प्यार।। क्या बोला प्रेम ने,क्यों बोला प्रेम ने, नफरत को कुछ न समझ आया। अहंकार की ऐसी दीवार खड़ी थी, अहम उसका न उसको गिरा पाया।। सुन कर भी अनसुनी कर दी उसने प्रेम की बातें, बोली,दो अपना परिचय मुझे प्रेम तुम, क्यों सब राग तुम्हारा गाते हैं। मुझे तो कुछ भी नही लगता ऐसा, तुम्हे पाकर लोग ऐसा क्या पाते हैं।। सुन नफरत की ओछी बातें, प्रेम भी मन्द मन्द मुस्काया। देकर अपना सच्चा परिचय, नफरत को प्रेम का पाठ पढ़ाया।। प्रेम है हर रिश्ते का आधार, है प्रेम तो है जीवन से प्यार, प्रेम से ही जुड़े हुए हैं जिजीविषा के सच्चे तार।। प्रेम है तो सब अपने पास है, प्रेम तो एक मीठा अहसास है, प्रेम है आशा,प्रेम जोश है, प्रेम पर्व है,प्रेम उल्लास है, प्रेम बिश्वास है,प्रेम आस है, प्रेम तो ऐसा साबुन है बहना, जो मन के धो डालता है सारे विकार। तुम भी नहा लो इस साबुन से बहना, हो जाए स