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Showing posts with the label विधि का विधान

अपने ही घर बेटियां हो जाती हैं मेहमान(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कुछ भी तो ना बदल पाई सीता(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

लौट रहे अवध को राम

नहीं टलती कभी टाले से((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कान्हा से द्वारकाधीश तक Thought by Sneh premchand

Poem on fate by sneh premchand