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समय की धूलि Thought by Sneh Premchand

अतीत के चेहरे से जब मैंने  कुछ वक़्त की धूलि  हटाई। येे क्या,मेरी ख़ास सहेली,  मेरे मानसपटल पर दौड़ी आई।। जाने कितनी ही मधुर अगणित यादों ने, दे डाली दस्तक दिल की चौखट पर, कितनी ही अनुभूतियां हौले हौले मुसकाई।। वो कितना हंसती और हंसाती थी। हर समस्या का पल भर में समाधान बन जाती थी।।