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होली पर्व है खास नहीं अति अति खास

होली पर्व है उल्लास का, अपनत्व के अहसास का होली पर्व है स्नेह अनुराग का, जैसे पुष्प में स्थान हो पराग का *होली पर्व है  हर मतभेद मनभेद भुलाने का* *होली पर्व है सर्द पड़े रिश्तों में गर्मजोशी लाने का* होली रंगों की सुंदर रंगोली होली पर्व है रास रचाने का होली इंद्रधनुष है सात रंगों का हर रंग है कुछ न कुछ सिखाने का स्नेह,सौहार्द,मस्ती,जिजीविषा, उत्सव,खुशी, उल्लास यही तो सात रंग हैं जीवन के, जो जीवन को बना देते हैं अति खास एक बात आती है समझ आया समय एक दूजे के रंग में  रंग जाने का कोई राग ना हो,कोई द्वेष ना हो कोई कष्ट ना हो,कोई क्लेश ना हो मन मलिन ना हो,राहें जटिल ना हों इन्हीं भावों को करता है समाहित  है ये पर्व सबको अपना बनाने का हम सबके सब हमारे हों, आई बेला अहम से वयम की बयार चलाने का एक बात आती है समझ इस पर्व की, है ये पर्व *चित शुद्धि* हो जाने का कोई छोटा नहीं कोई बड़ा नहीं, है ये पर्व अनहद नाद बजाने का होली पर्व है बसंत आगमन का, होली पर्व है अहंकार विकार मिटाने का होली पर्व है एक दूजे के रंग में  रंग जाने का होली पर्व है तन संग अंतर्मन भी भीग जाने का होली पर्व है रूठे हु

उत्सव

हर उत्सव बन जाता है खास

हर उत्सव बन है खास जब मन में होता है उल्लास। जिजीविषा आ जाती है बिन बुलाए, चेतना करने लगती है चित में वास।।

लालित्य की लालिमा

पैमाना प्रेम का (Thought by Sneh Prem chand)

पैमाना प्रेम का