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इतना तो बनता ही है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

जन्मदिन पर हम याद करें जन्म देने वाले मात पिता को,इतना तो बनता ही है,दें उनको हम सच्चे दिल से श्रद्धांजलि, इतना तो बनता ही है,उनकी कर्मठता को उतारें अपने जीवन में,इतना तो बनता ही है,उनके सोचे सपनो को साकार  करें हम,इतना तो बनता ही है,वो जो विषम हालातों में भी बहुत कुछ कर गए हमारे लिए,ये एहसास जगाये रखें,इतना तो बनता ही है,आज नमन करें हम उनको सच्चे दिल से,इतना तो बनता ही है,हमारे सपने पूरे करने के लिए जो अपनी जरूरतें दबा गए,उन्हें आज सबसे पहले याद कर करें नमन और वंदन,इतना तो बनता ही है। हमे हम से अधिक जानने वाले बेशक एक दिन इस जग को छोड़ चले जाते हैं,पर जेहन से वे कभी न जाएं,इतना तो बनता ही है।।मात पिता सच में धरा पर ईश्वर का पर्याय हैं, ऊंगली पकड़ चलना सिखाने वालों के कांपते हाथ थामे हम जीवन की सांझ में सहजता से,बिन भाल पर शिकन लाए,इतना तो बनता ही है।।*का वर्षा जब कृषि सुखाने* समय निकलने के बाद अहसास होने से क्या फायदा??? एहसासों की भी उम्र होती है,इस बात का अहसास हो हमे,इतना तो बनता ही है।।आज जन्मदिन पर उन्हें दिल से शुक्रिया करें,नमन और वंदन करें,इतना तो बनता है,और इस कर्