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धरा पर संकल्प लिया(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*धरा पर संकल्प लिया, गगन में किया साकार* *ऐसा है मेरा वतन भारत चांद पर कर डाला चमत्कार* रोम रोम हुआ पुलकित हमारा आज विज्ञान ने ज्ञान से किया श्रृंगार *संकल्प से सिद्धि तक के  सफर में   सही सोच,अथक परिश्रम,संघर्ष,प्रतिभा हैं शुमार* *सपने वो होते हैं जो हमे सोने नहीं देते,बस सपनों का हो बड़ा आकार* *आज नहीं तो कल हों जाएंगे पूरे बस माने ना हम जीवन में हार* *तिरंगे के रंग में डूबा है वतन सारा, फिज़ा में फैली खुशियां बेशुमार* *मां भारती को गर्व है आज अपनी कोख पर,जैसे मातृ भूमि का ऋण हो दिया उतार* *ऐसा है मेरा वतन भारत, चांद पर कर डाला चमत्कार* *धरा पर संकल्प किया, गगन में किया साकार* *कठिन परिश्रम,अभूतपूर्व उपलब्धि पूरा ही विश्व जैसे एक परिवार* *एक धरा,एक परिवार,एक भविष्य* इस मूलमंत्र को *संकल्प से सिद्धि* तक   है हमने पहुंचाया *विकसित भारत का शंखनाद है गुंजित   चहुं दिशा में,  आज चित उल्लास से भर आया*  *आह्लादित है मन , प्रफुल्लित है तन  बड़ा सपना आज हुआ साकार* *ऐसा है मेरा वतन भारत चांद पर कर डाला चमत्कार* *चांद पर चंद्रयान सच में एक महाभियान* *चंदा मामा दूर नहीं अब मां धरा से