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Showing posts with the label वार्तालाप

मेहनत और आलस्य

दिल और धड़कन

दिल ने एक दिन पूछा धड़कन से,"मेरे भीतर कैसे इतने गहराई से हो तुम समाई??? हौले से बोली धड़कन,"मेरा तो वजूद ही तुम से है, तेरे अस्तित्व में ही छिपी है मेरी परछाई।। जिस पल मैं रुक जाती हूं, ततक्षण तुम भी बन्द हो जाते हो। मेरे बिन मेरे प्यारे प्रीतम सांस एक भी तो ले नहीं पाते हो।। दिल हौले से मुसकाया जवाब धड़कन का भीतर से भाया।।

प्रेम और नफरत (( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

**प्रेम और नफरत** ज़िन्दगी के किसी मोड़ पर  एक दिन दोनों मिल जाते हैं। करते हैं कुछ बातें ऐसी, जिसे सुन सीख बहुत हम पाते हैं।। कहा प्रेम ने नफरत से कुछ ऐसा, वो हुई सोचने को मजबूर। काश समय रहते ही कर लेती, चित्त से बुराई हर एक दूर।। कहा प्रेम ने बड़े प्रेम से,"युगों युगों से युगों युगों तक,तुम्हे कुछ भी मेरी बहना नही मिला। तुम्हारे चमन में एक भी फूल, कभी खुशियों का नही खिला।। कैसे जी पाती हो?? जब तुम्हे इतना मिलता है दुत्कार। आ जाओ गर कुटिया में मेरी, जगा  दूंगा तेरे भी दिल मे प्यार।। क्या बोला प्रेम ने,क्यों बोला प्रेम ने,नफरत को कुछ भी समझ नही आया। अहंकार की ऐसी दीवार खड़ी थी,अहम उसका न उसको गिरा पाया।। सुन कर भी अनसुनी कर दी उसने बातें प्रेम की,बोली, दो मुझ को अपना परिचय प्रेम तुम,क्यों सब राग तुम्हारा गाते हैं????? मुझे तो नही होती कोई ऐसी अनुभूति,तुम्हे पाकर लोग ऐसा क्या पा जाते हैं?????????? सुन प्रेम ने बातें नफरत की, दिया कुछ ऐसा मधुर जवाब। सोचती ही रह गई नफरत, लगाती ही रह गई हिसाब।। मलिन मनों से हट जाते हैं जब धुंध कुहासे और चित में करुणा का होता है संचार। मैं ततक्

समर्पण और प्रेम

प्रेम और नफरत

करुणा और क्रूरता(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

Suvichar......karuna ne ek din puchha krurta se,khan khan tum rehti ho behna?jhan tum nhi karuna ,vhan hota h mera aashiyana.mansahari ke dil me hun, mere karan  beksur pashuon ko Jane kya kya padta h sehna.apne kuterkon se manav yugon yugon se unhe matr jeeb ke SWAD ki khatir niranter Marta aaya h.muje bhi shram aa jati h.per usne apna ye purana destur nibhaya h.sun krurta ki nirmam batein,kruna ki aankein dab dab bher aayi,kyun  nhi hota abher dil me mera bsera,WO aaz talak ye samaj na paayi

प्यासा

life and death

life and death

मीरा राधा और रुकमणी

मीरा,रुक्मणी और राधा तीनो एक दिन करने लगीं कुछ बात। किस का प्रेम कैसा है कान्हा के लिए,कटते हैं कैसे उनके दिन और रात। मीरा ने चाहा कान्हा को, पिया रूप में रुक्मणी ने पाया कान्हा को, पर इस कायनात ने राधा कान्हा के प्रेम को तहे दिल से अपनाया है। यही कारण है बीते युग बीती सदियां, पर नाम कान्हा के संग राधा का ही आया है।।

आंखें और नीर(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

आंखों ने कहा नीर से,ऐसा क्या है तेरा मेरा नाता? उदास गर दिल होता है,मुझ में से राह बना कर झट से बाहर तुम आ जाते हो। मैं तो खड़ी रहती हूं सोचती, और तुम झट से बह जाते हो। कहा नीर ने,ओ मोरे नैना,जब भी आहत होता है मनवा, मैं भीतर नही रह पाता हूँ। तोड़ बंदिशें तोरी नैना,मैं पल भर में बह जाता हूँ।।

अंधेरा और उजाला

सुविचार,,,,,,अँधेरे ने एक दिन कहा उजाले से,कहो उजाले कैसे हो तुम,और कहाँ कहाँ होता है वास  तुम्हारा,क्यों चाहते हैं सब तुम्हें इतना,क्यों ज़िक्र भी नही चाहते हमारा,दम दम दमकते उजाले ने फिर किये प्रकट निज यूँ उदगार,जहां बहती है ज्ञान की गंगा,हो जाएंगे मेरे दीदार,जहां प्रेम है,वहां हूँ मैं, जहां सौहार्द है,वहां हूँ मैं, जहां सत्संग है वहां हूँ मैं, जहां मर्यादा का नही होता अतिक्रमण,वहां हूँ मैं, जहां न्याय में नही होता विलम्ब ,वहां मैं बड़े शौक से रहता हूँ,माँ की ममता में हूँ,बच्चों के बचपन में हूँ,करो निश्छल प्रेम बंधू तुम सब से,यही मैं तुम से कहता हूँ

प्रेम और नफरत

तर्क और आस्था

ek din tark ne kha aastha se,sabka malik ek h,kya isse sidh ker paaogi   mand mand muskaee aastha,phir phute uske mukh se yeh udgaar sunker reh gya tark bhonchhka,kiya ker jod aastha ko namaskaar aastha bholi thi,,,,bhav prabal ho ger manav man mein,to prabhu daude chle aate hein kasht ho ger uske priy bhagat ko koi.use apne uper late ehin shardha bhi h meri behna,h choli daman ka hum dono ka sath tumne khoee sari umr sidh karne mein hi,ant samay kya aaya tere hath nhi jawab tha tark ke paas koee,aastha ke samne kiya jhukna sweekar

साहिल और लहर (Thought by Sneh premchand)

साहिल ने एक दिन कहा लहर से, *कहीं भी कर लो विचरण प्रिय तुम, पर अंत में मेरे पास ही लौट कर है आना जग जानता है सारा. तूं मेरे लिए, मैं तेरे लिए,तुझ से कभी नहीं करूंगा किनारा।। है साहिल लहर का सदियों से दीवाना, जान चुका है सारा ज़माना।। सुन साहिल की अभिव्यक्ति, लहर ने कह दी मन की बात। हे प्रीतम, है मेरी मंज़िल साहिल दिन खिलते हैं तुझ से, सजती तुझ से है रात।। मैं कभी जाती हूं मिलने पिता सागर से, पर फिर लौट आती हूं तुम्हारे ही पास।। और अधिक नही आता कहना मुझे भाता है साहिल आपका साथ।।

अंधेरा और उजाला thought by Sneh premchand

दुखद। by snehpremchand

भावना और बुद्धि poem by snehpremchand