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नित नित

नित नित नए भावों में रंग कर, नित नित नए अहसासों से झूम कर, कर रही हो लेखनी कर्म निष्काम, अनुभूतियों को देकर अभिव्यक्ति,सार्थक कर देती हो अपना नाम, यूँ ही तो नही कहा जाता लेखनी,सलाम,सलाम तुझे सलाम।।