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महतारी

ख्यालात ए जेहन में जब भी आई महतारी, धरा से जैसे स्वर्ग की फूटी हो चिंगारी।। मां से सुंदर अहसास तो हो ही नही सकता कोई जा गयी है ये दुनिया सारी ।।           Snehpremchand