कैसा होता है पापा का न होना जैसे फूल में खुशबू का न होना जैसे सब्ज़ी में नमक का न होना जैसे पवन में गति का हो खोना जैसे रामायण में चौपाई का न होना जैसे गीता में कान्हा के उपदेश न होना जैसे गिरिजाघर में मोमबती न होना जैसे दीये में ज्योति का न होना जैसे माला में मोती का ना होना जैसे साबुन में झाग का हो खोना जैसे चूल्हे में आग का ना होना जैसें माँ में ममता न होना जैसे बादल में बून्द का न होना जैसे कोयल में कूक का हो खोना जैसे पलँग पर तकिया न होना जैसे पकवान में मिठाई का न होना जैसे कान्हा के पास बांसुरी न होना जैसे लता का नगमा न गाना जैसे सुर में सरगम न होना जैसे मटके में पानी न होना जैसे दिल मे धड़कन का खोना जैसे सावन में बरखा ना होना जैसे पिता में परवाह का होना ऐसा होता है पापा का न होना