Skip to main content

Posts

Showing posts with the label जैसे फूल में खुशबू का ना होना

कैसा होता है पापा का ना होना(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)?

कैसा होता है पापा का न होना जैसे फूल में खुशबू का न होना जैसे सब्ज़ी में नमक का न होना जैसे पवन में गति का न होना जैसे रामायण में चौपाई का न होना जैसे गीता में कान्हा के उपदेश न होना जैसे चर्च में मोमबती न होना जैसे दीये में बाती का न होना जैसे साबुन में झाग का हो खोना जैसें माँ में ममता न होना जैसे बादल में बून्द का न होना जैसे कोयल में कूक का हो खोना जैसे पलँग पर तकिया न होना जैसे पकवान में मिठाई का न होना जैसे कान्हा के पास बांसुरी न होना जैसे लता का नगमा न गाना जैसे सुर में सरगम न होना जैसे मटके में पानी न होना जैसे दिल मे धड़कन का खोना ऐसा होता है पापा का न होना