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हमारा प्यार हिसार(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कितना प्यारा!कितना न्यारा!  ये परिवार *हमारा प्यार हिसार* और परिचय क्या दूं इसका??????? *कर्म ही इनका है सच्चा श्रृंगार* सार्थक हो जाती है मेरी लेखनी, होता है विषय जब ये *परिवार* *स्वच्छता,सौंदर्य,जागरूकता, जिम्मेदारी* की पल पल चलती है बयार* सौ बात की एक बात है *ये सार्थक करने आते हैं इतवार* *संकल्प से सिद्धि तक* प्रयास दोहराते रहते हैं बारंबार कभी नहीं थकते,कभी नहीं रुकते चेतना हो जाती है जागृत हर बार *कब आएगा रविवार कब आएगा रविवार*करते रहते हैं इंतजार सही मायनो में अपने शहर के ये  *शिल्पकार* *समाधान हेतु आगमन संतुष्टि सहित प्रस्थान*  इसी भाव का होता यहां संचार मुझे तो आता है समझ इतना  है, ये पाठशाला जहां * शिक्षा संग पल्लवित होते हैं संस्कार* उम्र, जाति,मजहब,लिंग भेद की कोई सरहद नहीं यहां पर, बस एक ही लक्ष्य *इंदौर जैसा बने हमारा प्यार हिसार* *आप भी आओ हम भी आएं सार्थक करने अपना इतवार*