Thought by sneh premchand अच्छे कार्य को प्रोत्साहन उतना ही ज़रूरी है जैसे दिल मे धड़कन का होना।यदि अच्छे कार्य की या किसी हुनर की जी खोल कर तारीफ की जाए,तो निश्चित ही और भी बेहतर परिणाम मिलते हैं,पर हमारे समाज मे इसे विडम्बना या दुर्भाग्य कहा जायेगा कि टैलेंटेड लोगों को दूसरे तो क्या उनके बहुत खास,बहुत अपने भी प्रोत्साहित नही करते,परिणामस्वरूप कई बार हुनर वहीं दफन हो कर रह जाता है।कोई और करे या न करे,पर माता पिता को तो बच्चे का हुनर पहचान कर उसे प्रोत्साहित अवश्य करना चाहिए,क्या पता आप और हममें ही कोई गुदड़ी का लाल छिपा हो,ज़रूरत है हुनर पहचानने और प्रोत्साहित करने की।