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कई बार

काश मलाल

जंग है ज़िन्दगी

इक नई जंग

दस्तक

दस्तक

ज़िन्दगी अपनी अपनी

अपनी अपनी

छोटी है ज़िन्दगी

छोटी है ज़िन्दगी

चन्द पलों की कहानी

रिश्ते

दो पल

दो पल की इस ज़िन्दगानी में सबको अपना अपना किरदार निभाना है,आज तेरी,कल मेरी है बारी, बंधु सब को जग से जाना है,पर इस सफर में हम ज़िन्दगी के मानचित्र में कर्म की किस कूची से कौन सा रंग और कैसे भरते हैं,इस पर चित दौड़ाना है,क्या दर्द उधारे लिए किसी के,क्या वक़्त पर किसी के काम आये,क्या भौतिक सुखों के आगे भूल गए मानवता को,क्या अपने पराये के भेद बनाये,खुद की खुद से मुलाकात ज़रूर करानी है,जीवन की इस आपाधापी में ढपली प्रेम की ज़रूर बजानी है,आप क्या सोचते हैं

सहरा

हो तुम सहरा तो मैं हूं पानी।  तुम से शुरू तुम पर ही खत्म,  मेरी जिंदगानी।।

नाव

सुविचार,,,,,,ज़िन्दगी की नाव कभी तो आराम से चलती है,कभी कभी सागर में जब तूफान आ जाता है,तो नाव डगमगा जाती है,माझी कैसा है,यह भी बहुत महत्वपूर्ण है,है ना

मोड़ thought by snehpremchand

ज़िन्दगी कई बार ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है जहाँ से आगे जाना भी मुश्किल,और पीछे लौटना भी मुश्किल।।

कभी आम सी कभी खास

इतनी ताकत है कड़वे घूँट में,जो ज़िन्दगी में ला सकती है मिठास, हर घड़ी रूप बदलती है ज़िन्दगी,कभी आम सी,कभी हो जाती है  खास।।

पहेली। thought by sneh premchand

ज़िन्दगी एक ऐसी पहेली है जो कभी कभी तो बहुत आसानी से सुलझ जाती है और कभी कभी तो इतनी उलझ जाती है समझ ही नही आता कहाँ से सुलझाएँ।

उलझन

उलझनों के धागे सुलझाते सुलझाते, कुछ बेगानों को अपना बनाते बनाते, ज़िम्मेदारियों के चूनर का घूंघट बनाते बनाते,  कब ज़िन्दगी पूरी हो जाती है,पता ही नहीं चलता।।