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यूं तो अगणित गुण हैं राम के,पर 16 गुणों के ये हैं नाम(( स्तुति स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

यूं तो अगणित गुण हैं राम के, पर *16 गुणों* के ये हैं नाम एक भी गुण गर कर लें समाहित, हो जाएं तीर्थ, हो जाएं धाम **अतिशय प्यारे राम हमारे सांस सांस में बसते राम** *चरित्रवान* चित्र ही नहीं  चरित्र भी सुंदर है श्री राम का, नहीं मिलेगा कोई राम सा चरित्रवान शूर्पणखा का प्रस्ताव ठुकराया, पत्नी सीता का रखा मान *राम से पहले सीता  और शाम से पहले है राधा दोनों पूरक एक दूजे के, सृष्टि का भाग दोनों आधा आधा* *मातृ पितृ भगत* मात पिता के अति दुलारे, ऐसे थे श्री रघुराई *प्राण जाएं पर वचन न जाएं* ऐसी रीत राम ने निभाई **या तो मुख से मां निकले या निकले फिर राम का नाम जग में ये दोनों नाते सांचे राम ही तीर्थ राम ही धाम** *विनम्रता* अति विनम्र रहे श्री राम जी, कभी न पनपा चित में अहंकार शबरी के झूठे बेर खाए बड़े प्रेम से किसी भेद भाव की नहीं खींची दीवार लक्ष्मण को कहा करो ज्ञान ग्रहण रावण से, जबकि खुद ज्ञान के थे भंडार **मलिन मनों से हट जाते हैं सब धुंध कुहासे लिया जब भी प्रभु राम का नाम* *आज अभी इसी पल से जप लो जाने कब आ जाए जीवन की  शाम** *सत्यनिष्ठ* *सत्य से बड़ा कोई तप नहीं, सत्य ही ईश्वर का नाम है दूजा