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शर्म भी हो जाती है शर्मिंदा

सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बनने की कहानी (((बुद्ध चित्र Anna द्वारा))(((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)))

सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बनने की सी कहानी का, है,सबके लिए अनमोल उपहार। 2500 वर्ष पूर्व उदित हुआ था जो दिनकर, आलौकित हुआ था सारा संसार।। बुद्ध न होते तो हम विश्व गुरु की उपाधि से वंचित हो जाते। बुद्ध न होते तो,सनातन संपदा रह जाती अधूरी,और हम अधूरे कहलाते। बुद्ध न होते तो आध्यात्मिकता के उच्च शिखर की कभी झलक न पाते।। 2500 वर्ष पूर्व कही उनकी ये बातें हैं आज भी उतनी ही प्रासंगिक, बता गए निज शिक्षाओं में वे जीवन का सार।। बुद्ध की शिक्षाओं को गर हम करें आत्मसात। सच में मायने ही बदल जाएं जीवन के, चल पड़े सन्मार्ग की सुंदर बारात।। कहते थे ओशो उन्हें पहला धर्म वैज्ञानिक, अपना सत्य सबको खुद ही पड़ता है खोजना, यही था उनकी शिक्षाओं का  आधार। 2500वर्ष पूर्व उदित हुआ था जो दिनकर, आलौकित हुआ था सारा संसार।। मध्यम मार्ग का दिया उपदेश उन्होंने, कहा अहिंसा परमो धर्म हमारा। दुखों का एकमात्र कारण है तृष्णा, जाने ये सत्य अब जग ये सारा।। मिटेगी तृष्णा तो मिटेगा हर दर्द, समझा कर ये सच्चाई, आलौकित कर गए बुद्ध जग ये सारा।। उनके ज्ञान की पावन अलख से आज भी आलौकित  है संसार।। महल त्यागा,पत्नी पुत्र त्

प्रकाश पुंज