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फिर से ला दो वो संजीवनी बूटी poem by sneh premchand

*फिर से ला दो वो संजीवनी बूटी* है मुसीबत में अब तो पूरा जहान। हाथ जोड़ हम कर रहे विनती, सुन लो,हे बजरंगी ,हे हनुमान!!!! को नहीं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो। एक अरदास कर रहे बजरंगी, अब तुम ही बिगड़े काज संवारो।। सदा सँवारे काज आपने, सदा ही रखा भगतों का मान। फिर से ला दो न संजीवनी बूटी, है मुसीबत में अब तो पूरा जहान।। ब्रह्मास्त्र लगा था जब लक्ष्मण को, तत्क्षण रघुनन्दन भी अकुलाए थे। सुषेण वैद्य के कहने से, पूरा द्रोण पर्वत ही उखाड़ आप लाये थे।। एक लक्ष्मण की खातिर, काज कर दिया अति महान । फिर अब तो बारी है पूरी मानवता की, देदो न बजरंगी इन्हें जीवनदान ।। संकट कटे मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा आज सुमिर रहा पूरा ब्रह्मांड तुझे, कर रहा तेरा आहवान । फिर से ला दो न संजीवनी बूटी, हे बजरंगी हे पवनपुत्र हनुमान ।। कलयुग में ला दो, त्रेता की संजीवनी देदो न सबको जीवन दान ।। ख़ौफ़ज़दा है मानव मन आज, ज़र्रा ज़र्रा घबराया है। संकटमोचक है नाम तिहारा, आज चित्त ने बस यही ध्याया है।। कष्ट हरो,सुखबरखा करो, देदो न सबको अभयदान। तेरी शक्ति का सिमरन, जामवन्त ने करवा