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प्रेम न जाने सरहद कोई(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*प्रेम आधार है जीवन का प्रेम जगत व्यवहार* *प्रेम नहीं जिस हिवडे में, उसका जीना बेकार* *प्रेम ह्रदय का गीत है प्रेम ही चित संगीत* *बिन प्रेम सब सूनी हैं  जग की सारी रीत* *प्रेम समर्पण भाव है प्रेम ही है विश्वास* *प्रेम अनमोल सा भाव है आम बने अति खास* *प्रेम न जाने तर्क कोई, प्रेम मधुर सी आस* *प्रेम न जाने जाति मजहब सरल हृदय, प्रेम का वास* *न भाषा न परदेस की कोई दीवार* *ऐसा ही तो होता है प्रेम का संसार* *प्रेम की पहली शर्त सम्मान है* , हर प्रेमी इसका हकदार* *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही मूलमंत्र है वैवाहिक जीवन का *यही प्रेम का सच्चा सार* *अलग परिवेश,अलग परवरिश* *फिर भी जुड़ जाते हैं दिल के तार* *एक ही राह के अब दो मुसाफिर* *एक ही दोनों का घर संसार* *सांझे सुख दुख सांझी खुशियां* *सांझी जिम्मेदारियां सांझे अधिकार* *मौन की भाषा भी आने लगती है समझ,ऐसा हो जाता है प्यार* *कभी बंधन न टूटे, कभी साथ न छूटे ऐसा हो दोनों का परिवार* स्नेह कह रही अति स्नेह से, दुआओं के स्नेह सुमन सस्नेह कर लेना स्वीकार।।