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हमारा प्यार हिसार(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कितना बखूबी  निभा ता है अपना किरदार हमारा प्यार हिसार हमारा प्यार हिसार हर उम्र यहां मुस्कुराती है कर्म का अनहद नाद बजाती है हर बार कर्म यहां बोझ नहीं आनंद उल्लास मस्ती है यहां शिक्षा संग तूं हीं मिल जाते हैं संस्कार अहम से वयम स्व से सर्वे की चलती है बयार सांझी खुशियां होती हैं यहां सबकी चित जिजीविषा कर्मठता से सबके सरोबार बखूबी जानता है  यहां हर बाशिंदा जिम्मेदारी संग ही मिलते हैं संस्कार स्वच्छता,सौंदर्य,सुधार हमारा है जन्मसिद्ध अधिकार कुछ तो कर्तव्य कर्म हैं हमारे अपनी माटी के लिए, आगे आएं हम हर बार इसी सोच को क्रियान्वित करता हमारा प्यार हिसार परिवार सार्थक सा करने आ जाते हैं अपना हर इतवार एक एक करके बना कारवां, यूं हीं बढ़ता गया ये परिवार सजा दिया शहर अपना, सजा दिए गली, कूचे गलियारे यूं हीं चलती रहे ये जिंदगी, खुशियां दे दस्तक हर चौखट हर द्वारे सौ बात की एक बात है देश प्रेम हो सबकी सोच का प्राथमिक आधार ऊर्जा का प्रयोग हो सादा सही दिशा में संकल्प को मिल जाएगी सिद्धि हर बार मील का पत्थर साबित होंगे प्रयास हमारे आने वाली पीढ़ियों का चुका देंगे इसी जन्म में उधार प्रदूषण र