मैं मेरे बाबुल के आंगन की चिरइया मां की ममता का साया हूँ, भाई बहनों संग बीत जो प्यार बचपन उसकी ठंडी सी छाया हूँ। मैं जो हूँ, जैसी हूँ, वैसी ही मुझे रहने दो, बरसों से सिसक रहा है जो इतिहास आज तो खुल कर मन की कहने दो खुल कर मन की कहने दो, मुझे नही चाहिए देवी की संज्ञा मुझे मेरे जीवन जीने दो, फिर कोई द्रौपदी, निर्भया और प्रियंका सा इतिहास न बस दोहराने दो।।