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जुगनू नहीं आफताब थी तूं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

सच में तूं कमाल थी

बेहिसाब by snehpremchand

अंजुम,चाँद या फिर आफताब चाहे कोई भी देदे,गम तुम्हे खिताब हो ज़िन्दगी की सबसे खूबसूरत किताब यूँ ही तो नही ज़िन्दगी में  माँ को  कहा जाता है लाजवाब। करते थे,करते है,करते रहेंगे प्यार तुमसे बेहिसाब।।          स्नेहप्रेमचंद