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ज्योति की जीवन ज्योति जलती रहे((दुआ स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*जलती रहे ज्योति की  *जीवन ज्योति*  *रहे मन पावन,  न पनपे चित में विकार* *कर्म ही परिचय पत्र  होते हैं व्यक्ति का, वरना एक ही नाम के  व्यक्ति होते हजार* *सपने जो भी देखें तुमने,  हों लाडो सारे साकार* *बेटी,पत्नी,बहु,मां,सखी सबका निभाया बखूबी हर किरदार* स्नेह तेल कभी खत्म न हो जीवनदीप में,  हों प्रेम ज्योत के सदा दीदार सौहार्द,करुणा,सहजता  की बहती रहे त्रिवेणी, चित में आए ना कभी अहंकार चेतना करे वरण सदा सत्य का, जिजीविषा का पहने अलंकार *एक अर्धशतक लगाया है अति उम्दा आपने,  दूजा भी करे सुख,समृद्धि और सफलता के दीदार* *दिल से चाहा है,दिल से चाहेंगे, देंगे आज दुआएं तुम्हें बेशुमार* *कुछ खोना कुछ पाना है जिंदगी प्रेम ही हर नाते का आधार* *कुछ कर दरगुजर,कुछ कर दरकिनार* *यही मूलमंत्र है जीवन का, कर लेना इसको स्वीकार* *कोई राग न हो,कोई द्वेष ना हो* *कोई कष्ट ना हो,कोई क्लेश ना हो* *मधुर तुम्हारी मधुर बोली,मधुर तुम्हारा मधुर व्यवहार* *मन मलिन न हो,रहें जटिल न हों* *विश्व के हर दीप में ज्ञान ज्योति रहे बरकरार* *बड़ों का आशीष और छोटों का म