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Showing posts with the label दस्तक

उठो वतन के सच्चे नागरिक

उठो वतन के सच्चे नागरिक! कुछ कर्तव्य कर्मों ने  जिंदगी की चौखट पर दी है दस्तक  मातृभूमि के लिए है जो जिम्मेदारी *आओ निभाएं कर ऊंचा मस्तक*

सजल से हो जाते हैं नयन(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

सजल से हो जाते हैं नयन, जब जिक्र तेरा जेहन पर दस्तक दे जाता है। भीगा सा जाता है ये अंतर्मन, चित चहुं दिशा में,सब सीला सीला पाता है।। पहले तो आई नहीं समझ, पर अब बखूबी समझ आता है।। कितना सूना हो जाता है जग इतना बड़ा, जब कोई बहुत ही खास चला जाता है।। अब लगता है यूं हीं तो नहीं,  ये सावन भादों इतने गीले गीले होते हैं। ये दो मास हैं प्रतिबिंब उस पूरे साल के, जिनमे जाने कितने ही लोग कितने ही अपनों की याद में खुल कर रोते हैं।। मखमल के बिछोने भी लगते हैं टाट से, फिर चैन से हम कब सोते हैं?????

स्नेह निमंत्रण(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

हौले हौले

आपकी बहन,बुआ,बेटी

दहलीज दिल की

कला,संगीत और साहित्य

इसलिए खास है ये लेखन क्योंकि अंजु की साड़ी पर लिखा हुआ है।।

अहसान है जिंदगी तेरा

लो फिर

खुशियों के मस्तक

आभा

जिंदगी की चौखट पर

यादों की बारात

यादों के झरोखों से अक्सर एक आवाज़ आती है,ये तो माँ की लोरी है,जो बड़े प्रेम से गाती हैंैंैंैंैंैंैंैैंैंैंैंैंंैंैंैंैंैंैंैंैंैंैैंैंैंैंैंंै मां के बारे मेंं सब सत्य्य  सत्य््य   

यादों की बारात

यादों के झरोखों से अक्सर एक आवाज़ आती है,ये तो माँ की लोरी है,जो बड़े प्रेम से गाती हैंैंैंैंैंैंैंैैंैंैंैंैंैंैंैंैंैंैंैंैंैंैैंैंैंैंैंै

खास हमारा ( थॉट बाय स्नेह प्रेमचंद)

ओ मन

फिर से ज़िन्दगी ने

भोर

हौले हौले

उजली भोर