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फेरहिस्त

ज़मी है तो आसमान भी है समस्या है तो समाधान भी है गीता है तो कुरान भी है पशु हैं तो इंसान भी हैं श्राप है तो वरदान भी है निर्धन हैं तो धनवान भी हैं ज्ञानी हैं तो नादान भी हैं दुर्योधन है तो शाम भी है रावण है तो राम भी है शैतान है तो भगवान भी है ज़िन्दगी की फेरहिस्त में दोनों ही प्रकार के भाव हैं। हमारा चयन ही हमारे भाग्य का निर्धारक होता है।।                 स्नेहप्रेमचंद