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हर मां बाप

Zra sochiye.........her ma baap bachon ke liye her ythasambhav pryatan kerte hi hein.yeh sadiyon se hota aaya h,or hota rhega,yeh tark shi nhi h.jab sab kuch badla h to yeh soch kyun nhi.ekterfa tyaag kab tak hota rhega?bachon me sanskaron ki aisi gutti pilayi jani chahiye ,ki WO ma baap ko bhoj nhi apni zimmedari samjhe .Jo ma baap ne bachon ke bachpan me samjhi thi.itna sidha sa smikeran ye dunia wale itna jatil kyun ker dete h?ye behas ka nhi samajhne ka vishy h.ma baap ki chhaya to WO jannat h Jo kismatwalon ko nasib hoti h.bas samajne ki baat h

मां की परिभाषा

इंद्रधनुष के सात रंग है माँ रंगोली के सुंदर रंग है माँ तरुवर की शीतल छैया है माँ हलधर का इकलौता हल है माँ बरखा की बूंदें है माँ सूरज की किरणें  है माँ चाँद की शीतलता है माँ तारों की चमक है माँ मुरलीधर की मुरली है माँ आठ सिद्धि नौ निधि है माँ दिल की धडकन है माँ संगीत की सरगम है माँ आँख का नूर है माँ किताब के हर्फ़ है माँ कूलर का पानी है माँ फ्रीज़ की बर्फ है माँ कृष्ण की गीता है माँ रामायण की सीता है माँ प्रकृति की हरियाली है माँ जीवन मे सबसे निराली है माँ पंछी के पंख है माँ मन्दिर का शंख है माँ गिरिजाघर की बाइबल है माँ मस्जिद की कुरान है माँ गुरुद्वारे का ग्रंथ है माँ मन्दिर का पुजारी है माँ माला का मोती है माँ दीप की ज्योति है माँ चमन का सुमन है माँ महफ़िल की रौनक है माँ सहजता का पर्याय है माँ सबसे सुंदर राय है माँ

कितनी भी

यथासंभव

Zra sochiye.........her ma baap bachon ke liye her ythasambhav pryatan kerte hi hein.yeh sadiyon se hota aaya h,or hota rhega,yeh tark shi nhi h.jab sab kuch badla h to yeh soch kyun nhi.ekterfa tyaag kab tak hota rhega?bachon me sanskaron ki aisi gutti pilayi jani chahiye ,ki WO ma baap ko bhoj nhi apni zimmedari samjhe .Jo ma baap ne bachon ke bachpan me samjhi thi.itna sidha sa smikeran ye dunia wale itna jatil kyun ker dete h?ye behas ka nhi samajhne ka vishy h.ma baap ki chhaya to WO jannat h Jo kismatwalon ko nasib hoti h.bas samajne ki baat h

कोशिश है मेरी

*कोशिश है मेरी*  माँ बाप के विषय में लिख कर एक सामाजिक चेतना लाने की कोशिश है मेरी। जो चले गए उन्हें शत शत नमन, और भावभीनी श्रद्धांजलि है मेरी,पर जो इस जहाँ में हैं,उन्हें सम्मान ,तवज्जो,प्रेम,और मीठे बोल दिलवाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। वो जो नही जानते कि वे क्या नही जानते,उन्हें कुछ जन वाने की कोशिश है मेरी। सब जानते हैं,सब मानते हैं,बस हनुमान की तरह याद दिलाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। सबसे अमीर है वो ,जो माँ बाप के संग में रहता है,उस अमीर को उसके ख़ज़ाने को पहचान करवाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। माँ बाप के संग बिताये गए पल अनमोल होते हैं,उन अनमोल पलों को हर कोई सहेजे,बस ये छोटी सी कोशिश है मेरी। हर कोई श्रवण कुमार नही बन सकता, पर इस सोच का अंकुर पल्लवित करने की छोटी सी कोशिश है मेरी। बाद में मन मे न रह जाये मलाल कोई, सहज बनाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। हम से ही सीखती है हमारी अगली पीढ़ी,इस सुसंस्कार की अलख जगाने की  छोटी सी कोशिश है मेरी। संसार मे ही न रहे कोई वृद्धाश्रम,हर आशियाने के मंदिर में माँ बाप के अस्तित्व को स्वीकार कराने की छोटी सी कोशिश है मेरी। मैं कोई ज्ञानी नही,प्रवक्ता

कोशिश है मेरी((((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))))

*कोशिश है मेरी*  माँ बाप के विषय में लिख कर एक सामाजिक चेतना लाने की कोशिश है मेरी। जो चले गए उन्हें शत शत नमन, और भावभीनी श्रद्धांजलि है मेरी,पर जो इस जहाँ में हैं,उन्हें सम्मान ,तवज्जो,प्रेम,और मीठे बोल दिलवाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। वो जो नही जानते कि वे क्या नही जानते,उन्हें कुछ जन वाने की कोशिश है मेरी। सब जानते हैं,सब मानते हैं,बस हनुमान की तरह याद दिलाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। सबसे अमीर है वो ,जो माँ बाप के संग में रहता है,उस अमीर को उसके ख़ज़ाने को पहचान करवाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। माँ बाप के संग बिताये गए पल अनमोल होते हैं,उन अनमोल पलों को हर कोई सहेजे,बस ये छोटी सी कोशिश है मेरी। हर कोई श्रवण कुमार नही बन सकता, पर इस सोच का अंकुर पल्लवित करने की छोटी सी कोशिश है मेरी। बाद में मन मे न रह जाये मलाल कोई, सहज बनाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। हम से ही सीखती है हमारी अगली पीढ़ी,इस सुसंस्कार की अलख जगाने की  छोटी सी कोशिश है मेरी। संसार मे ही न रहे कोई वृद्धाश्रम,हर आशियाने के मंदिर में माँ बाप के अस्तित्व को स्वीकार कराने की छोटी सी कोशिश है मेरी। मैं कोई ज्ञानी नही,प्रवक्ता

इनकार thought by snehpremchand

कोशिशें भी कोशिश कर कर के जाती है हार। जो बने गले का हार कभी थे, आज मिलने से करते हैं इनकार।।

कविता