Skip to main content

Posts

Showing posts with the label वरदान

जान की जान है तूं

ओ मेरी जान की जान हो प्रेम तेरा सुंदर परिधान आज जन्मदिन है तेरा सच बेटी खुदा का वरदान।।

हानि धरा की लाभ गगन का

हमसफर

बखान

मां रोटी बन जाती है

ज्ञान विज्ञान

अभिशाप

Poem on mother by sneh premchand

वो थकती नही,वो रुकती नही, ये मा की होती है पहचान। एक अक्षर के छोटे से शब्द में, सिमटा हुआ है पूरा जहांन।। न कोई था,न कोई है,न कोई होगा, मा से बढ़ कर कभी महान।। मां होने से धरा पर ही बन जाता है स्वर्ग मां कुदरत का अनमोल वरदान।।       स्नेह प्रेमचंद

निकाह thought by sneh premchand

प्रेम ने करुणा से कर लिया निकाह  और  हुई उनके ये संतान। सौहार्द,भाईचारा,धीरज पुत्र हुए, स्नेह,विनम्रता,शांति तीन बेटियों  का मिला वरदान।।

हम जुगनू तूँ दिनकर माँ

माँ हम जुगुनू तू दिनकर है, माँ हम तारे तू इंदु है, माँ हम प्यासे तो तू जल है, माँ हम जिज्ञासा तो तू हल है, मां हम समस्या तू समाधान है, मां तू कुदरत का वरदान है, माँ हम धरा तू आसमान है, माँ हम दिल तो तू धडकन है, माँ हम सुर तो तू सरगम है, माँ हम बून्द तो सागर है, माँ हम नीर तू गागर है, माँ हम पंख तू परवाज़ है, माँ तू पर्व,उत्सव,रीति,रिवाज़ है, माँ तू ही शिक्षा,तू संस्कार है, माँ तुझ से होता परिष्कार है, माँ हम शब्द तू भाव है, माँ तू मांझी और हम नाव है, माँ हम अक्षर तू पूरी किताब है, माँ से बढ़ कर न कोई हिसाब है, माँ तू ही तीर्थ है तू ही धाम है, तेरे प्रेम का अद्भुत विज्ञान है, माँ हम दीपक और तू ज्योति है, माँ तू सीप के मुख का मोती है, माँ हम शिष्य तू गुरु हमारा, माँ  तेरा प्यार है सबसे न्यारा, माँ हम तख्ती तो तू लेखनी है, माँ हम स्वार्थी तू निस्वार्थ है, माँ तू जीवन का आधार है, माँ तू निश्छल सा प्यार है, माँ तू मन्ज़िल हम पथिक अज्ञानी, माँ तेरी महिमा सबने जानी, माँ तू ही गीता तू ही कुरान है, माँ तू ही तीर्थ तू ही धाम है, माँ हम नयन तो दृष्टि हो तुम, माँ हम प्रकृति तो हरियाली हो तुम, माँ द