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संगठन में शक्ति। poem by snehpremchand

सच में ही सुंदर हो जाते हैं सामूहिक प्रयास लक्ष्य गर जनकल्याण है तो,सफलता का ही होगा आभास। लोकतंत्र में उभरी राष्ट्रीयता, संगठन में शक्ति का होता है वास।। सर्वे भवन्तु सुखिनः,सर्वे सन्तु निरामया यही भाव आज लग रहा खास।।          स्नेहप्रेमचंद