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Showing posts with the label श्रृंगार

सिंहासन

दो वंश मिले,दो फूल खिले

सिर्फ और सिर्फ

सिर्फ और सिर्फ मां होती है जीवन का सच्चा श्रृंगार। एक मां ही तो होती है,जो करती है हमे निस्वार्थ सा प्यार।।

आधार सुविचार by snehpremchand

सादगी से बढ़ कर नही होता कोई श्रृंगार। मुस्कुराहट हटा देती है मन से मलिन  विकार। प्रेम ही तो है जीवन का सच्चा आधार।।

बहस

बहस से बातों में जीत भी गए तो दूसरी तरफ वो रिश्ता तो गए हम हार, बहस नही प्रेम है सर्वोत्तम तरीका,प्रेम है जीवन का सच्चा श्रृंगार।।               स्नेहप्रेमचंद

प्रकृति ने ही कर दिया श्रृंगार thought by sneh premchand

धरा ने धीरज,गगन ने दे दिया विस्तार। सागर  ने असीमता, पर्वत ने अडिगता, दिनकर ने तेज दे दिया अपार। तारों ने चमक,कोयल ने मीठा बोल, खगसमूह ने संगठन का दे दिया आधार। इंदु ने शीतलता,नदिया ने गति,पुष्पों ने महक, समीर ने बहाव का दे दिया है सार। माँ का तो प्रकृति ने ही करके भेजा है, अदभुत, अनोखा,अद्वितीय श्रृंगार।।               स्नेहप्रेमचन्द

इख्तियार. by snehpremchand

मेरा इतना तो है तुझ पर इख़्तियार जो ह्रदय भावों का कर सकूँ इज़हार अधिक तो नही आता जच कहना तूँ प्रेमवृक्ष का सुंदरतम श्रृंगार                स्नेहप्रेमचन्द