धन संग दुआ कमाना भी है उतना ही ज़रूरी। हमारी आजीविका का आधार भूले से भी न हो किसी की मज़बूरी।। कयामत के दिन देना होगा जवाब फिर, गलत राह से हो बेहतर हम रखें दूरी।।। इस सत्य से हों अवगत हम भली भांति, न बनें मृग सम,जाने न जो, नाभि में ही है कस्तूरी।।।। स्नेह प्रेमचंद