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कतरा कतरा जोड़ कर

Poem on human behavior by snehpremchand

हम वही देखते हैं जो देखना चाहते हैं। हम वही सुनते हैं जो सुनना चाहते हैं। हम वहीं बातचीत करते हैं जहाँ करना चाहते हैं। वर्ना व्यस्त रहने का झूठा ढोंग करते हैं।

चा ह

हम वही देखते हैं जो देखना चाहते हैं। हम वही सुनते हैं जो सुनना चाहते हैं। हम वहीं बातचीत करते हैं जहाँ करना चाहते हैं। वर्ना व्यस्त रहने का झूठा ढोंग करते हैं।