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प्रेम चमन के(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

AAZ HONEY 31 SAL KA HO GYA H,KAL KI SI BAT LAGTI H.............. Prem hi h jivan ka aadhar, ker lo iss ytharth ko sweekar, nhi raj chhupa h iss kathni mein, prem hi sab granthon ka saar, jisne padh li prem ki pati, ho gya wo bhav sagar se paar, sda khush rho,sda aabad rho beta, hein duayein hi janmdin per aapke ek uphaar.   समय की धारा को बहते जाना है, आता है समझ यही जीवन का सार। संवेदना का अंकुर फूटे हर चित में, हो एक दूजे से हमे सरोकार।। तूं खुश रहे,स्वस्थ रहे,सफलता खटखटाए सदा तेरा द्वार। *जुड़ाव* से जुड़ी रहती हैं जड़ें, दूरियों से सिमट जाता है संसार।। दुआओं से बड़ा मुझे तो नहीं आता नजर,कभी कहीं कोई उपहार। हर सरहद को पार कर जाती हैं ये, अति विहंगम इनका आकार।। चल भर ले झोली, नहीं हंसी ठिठोली, प्रेम ही हर रिश्ते का आधार। प्रेम चमन के प्रथम पुष्प के प्रथम पुष्प को बुआ की दुआएं बारंबार।।          दिल की कलम से           स्नेह प्रेमचंद