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मैं ना भूलूंगी(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मैं न भूलूंगी, मैं न भूलूंगी, कर्म की कावड़ में, जल मेहनत का भरने वाली। सदा करूँगी तुझे सलाम। मुझे इस जग में लाने वाली, किसी हाल में न कुम्हलाने वाली, जुगनू नही सूरज भी हो तेरा गुलाम। मेहनत की सड़क पर पुल कर्म का बनाने वाली, सब चमका कर जो बनाती थी दीवाली। होली पूजन का था जिसका बड़ा काम मैं न भूलूंगी, में न भूलूंगी, वो चुपके से कमरे में ले कर जाना वो सुदर से सूटों को बड़े चाव से दिखाना। आगे पीछे की सारी बातें बताना, हिवड़े की कोई न बात छुपाना। मैं न भूलूंगी मैं न भूलूंगी

नहीं चलेगा thought by sneh premchand

नहीं चलेगा