Skip to main content

Posts

Showing posts with the label ईश्वर शरण

प्रेम का

भावना जब पहनती है लहंगा प्रेम का और उड़ती है चुनर विश्वास की तब वह आस्था बन जाती है आस्था जब करती है घुघट विनम्रता का और गहन अनुभूति का तब वह श्रद्धा बन जाती है श्रद्धा जब बढ़ती है निर्बाध गति से तब सीधा ईश्वर के दर पर जाती है करुणा की जब चलती है आंधी तब स्वार्थ का चुनर खो जाता है वसुधैव कुटुंबकम की भावना हो जाती प्रबल है सब का दुख एक दूजे का हो जाता है यही सिखाया है भक्ति ने ईश्वर शरण में इंसान सच्चा सुख पाता है।।