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जल ही सृष्टि का मूलाधार(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*जल है तो जीवन है* जल ही सृष्टि का मूल आधार  अस्तित्व मानव का जल पर निर्भर *आओ करें हम जल से प्यार* *जीवनदायिनी जल बूंदों को,  सुरक्षित संरक्षित रखना है जिम्मेदारी हमारी* *बच पाएंगी तभी आगामी पीढ़ियां  सत्य जाने यह दुनिया सारी* जल संजीवनी बूटी है हर प्राणी के लिए,जल से ही चलता है संसार जल है तो जीवन है जल सृष्टि का मूलाधार  हो वर्षा जल का समुचित संग्रहण,  कर पाए नियंत्रित हर जलधारा*  *जल से ही मिलता है खाद्यान्न   जीवन जल पर निर्भर हमारा* *जल से ही लहलहाती हैं फसलें, प्यासे कंठों को मिलता है सहारा* *जल है तो कल था,आज है, कल होगा इस सत्य को भला किसने है नकारा?? *नीरव, निर्जन भूमि ने जल से ही तो ओढ़ी है हरियाली की चादर*  *कब तक बंद करेंगे आंखें  आओ देना सीखे जल को आदर*  *जल से ही वन्य जीवन संभव,  पशु,पक्षी,कीट,पतंगे प्रजातियां ना जाने कितनी हजार   *जल है तो जीवन है  जल ही है सृष्टि का मूल आधार* *प्राकृतिक वन उपवन और अभ्यारणों ने ही पर्यटन के खोले हैं द्वार* *मूल में छिपा है जल ही इनके, इस तथ्य को करें स्वीकार* *प्राणदायिनी शक्ति है जल प्रकृति की, निर्मम  दोहन से बचना सीखें हम