कोई शस्त्र नहीं,कोई शास्त्र नहीं, प्रेम तो पुष्प है,जैसे पारिजात। कोई शब्द नहीं,कोई शोध नहीं, प्रेम तो शादी मंडप में जैसे बारात।। कोई व्यवसाय नहीं, कोई सिद्धांत नहीं, प्रेम है सबसे सुंदर जज़्बात।। प्रेम तो है बस एक सुखद अनुभूति, प्रेम तो है बस और बस हृदय की बात। प्रेम से बढ़ कर इस धरा पर, नहीं ईश्वर की कोई सौगात।। प्रेम में जिद्द नहीं, कोई अहंकार नहीं प्रेम से सुंदर सच में, कोई संसार नहीं।। प्रेम मापने का बेशक कोई निर्धारित पैमाना नहीं होता, पर जो जिक्र और जेहन दोनो में रहते हैं,प्रेम उन्हीं से गहरा है होता।। नहीं होता *कोई*प्रेम का कारण, *क्यों* का भी प्रेम से नहीं कोई नाता। प्रेम मस्तिष्क की बात नहीं, दिल को प्रेम निभाना आता।। *पीपल* सा होता है प्रेम, कहीं भी अंकुरित हो जाता है। *केसर क्यारी*सा होता है प्रेम, जो जाने कितने ही जीवन महकाता है।। प्रेम तो वो "पारस* है जो हर प्रेमी को सोने में बदल देता है। प्रेम तो वो *इत्र" है, जो हर प्रेमी को सुवासित कर देता है।। प्रेम तो वो *आफताब* है जो रोएं रोएं को चमका देता है, जर्रे जर्रे को खिला देता है।। इंदु की शीतल ज्योत्सना है